अखिल भारतीय मठ मंदिर समन्वय समिति के मूलभूत प्राथमिक लक्ष्य
पंचतत्वों द्वारा निर्मित पुनर्स्थापन व पुनरुद्धार हेतु पंचसूत्री संकल्प
- भारतवर्ष के सभी मंदिरों मठों एवं उनके पुजारियों, महंतो व उनके परिवारों की सुरक्षा, संरक्षण एवं उत्थान
- मंदिरों व मठों के वर्चस्व का पुनरुत्थान एवं ऐतिहासिक धर्मस्थलों का विकास, प्रचार व प्रसार
- सनातन धर्म की वैदिक परंपरा का पुनस्थापन
- समाज में वैदिक संस्कृति एवं संस्कारों का पुनर्गठन
- वैदिक परम्परानुसार सम्पूर्ण भारतवर्ष में शिक्षा व चिकित्सा क्षेत्र का विमुद्रीकरण
ध्येय पूर्ति हेतु पदचिन्ह –
ध्येय १ – भारतवर्ष के सभी मंदिरों मठों एवं उनके पुजारियों, महंतो व उनके परिवारों की सुरक्षा, संरक्षण एवं उत्थान
- सभी पुजारियों, महंतों, संतों व उनके परिवारजनों का पंजीकरण एवं पहचान पत्र निर्गमन
- सभी पंजीकृत पुजारियों, महंतों, संतों व उनके परिवारजनों का नियमित प्रशिक्षण एवं सत्संग
- सभी पंजीकृत सदस्यों हेतु निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध करवाना :
- बैंक खाता खोलना
- मासिक वेतन का प्रबंध
- स्वास्थ्य / चिकित्सा बीमा, दुर्घटना बचाव बीमा, जीवन बीमा
- बच्चों हेतु प्राथमिक शिक्षा उच्च शिक्षा बीमा एवं ऋण का प्रबंधन
- बालिका हेतु बीमा एवं शिक्षा व्यवस्था
- COVID जैसी महामारी / आपदा में अनाज का आयोजन
- वृद्धावस्था पेंशन, करों में छूट एवं यात्राओं (हवाई व रेल) में भत्ते का प्रबंधन
- युवाओं हेतु कौशल प्रशिक्षण रोजगार नवाचार व उद्योग हेतु एवं ऋण सुविधाओं का प्रबंधन
- विवाह-योग्य बालिकाओं हेतु सहयोग
- संस्कृत पठन – पाठन हेतु उचित व्यवस्था
ध्येय २ – मंदिरों एवं मठों के वर्चस्व का पुनरुथान एवं ऐतिहासिक धर्मस्थलों का विकास, प्रचार व प्रसार
पहला चरण
- सभी पंजीकृत धार्मिक स्थलों पर नित्य पूजन आरती व अग्निहोत्र सुनिश्चित करना
- सभी धार्मिक स्थलों को समिति की वेबसाइट से जोड़कर ऑनलाइन कर CCTV द्वारा जोड़ना
- सभी जीर्ण मंदिरों व मठों की पहचान कर पुनर्निर्माण कार्य का आकलन करना
- जीर्णोद्धार हेतु मुद्रा प्रबंधन – सहकारी, सरकारी, व्यवसायी(C.S.R.) अथवा जनसहयोग
- जीर्णोद्धार हेतु अन्य सामग्री प्रबंधन – अभियंता, अधिवक्ता, अधिकारी पुष्टि प्रपत्र, श्रमिक व अन्य सामग्री
दूसरा चरण
- भग्नावशेषों की खोज तथा पुरातत्व विभाग द्वारा सहयोग प्राप्त कर उनका पुनरोद्धार
- कुशल वास्तुविदों व शिल्पकारों से सहायता प्राप्त कर खंडित मठों व मंदिरों की पुनर्स्थापना
तीसरा चरण
- इतिहासानुसार विभिन्न प्रख्यात ऋषि आश्रमों की खोज तथा उनका पुनर्स्थापन
- इतिहासानुसार विभिन्न प्रख्यात गुरुकुलों की खोज तथा उनका पुनर्स्थापन
ध्येय ३ – सनातन धर्म की वैदिक परंपरा का पुनर्स्थापन
- प्रत्येक मठ एवं मठ में गुरुकुल का पुनर्स्थापन जिसके द्वारा वैदिक परंपरा का नयी पीढ़ी ज्ञान व सम्मान पुनः सृजित किया जा सके
- सभी सोलह संस्कारों हेतु यज्ञ व अनुष्ठान विधि का पूर्ण प्रबंधन
- सभी गुरुजनों विद्यार्थियों एवं शरणार्थियों हेतु धर्मशाला का प्रबंधन
- वार्षिक धर्मसभा का आयोजन, जिसमें संतो के प्रवचन व ज्ञानिओं के शास्त्रार्थ द्वारा जनमानस लाभान्वित हो सकें
- वार्षिक पंचांग का प्रकाशन
ध्येय ४ – समाज में वैदिक संस्कृति एवं संस्कारों का पुनर्गठन
- वैदिक संस्कारो पर गहन शोध कर प्रत्येक परंपरा में निहित विज्ञानं आधार को उजागर कर जान मानस के संज्ञान में लाना
- वैदिक वैज्ञानिक कृषि पर शोध कर, कृषको को लाभान्वित कर, “उत्तम खेती माध्यम बाण” को पुनः स्थापित करना
- गौशाला एवं अभयारण्य की संस्कृति का पुनरोद्धार कर “पहली रोटी गाय की व आखिरी रोटी कुत्ते की” जैसी सहजीवी संस्कृति का पुनः स्थापन करना
- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ व संन्यास – आश्रम व्यवस्था के ज्ञान का प्रसार व जनमानस में इनका सम्मान
- सनातन वैदिक विज्ञान आधारित अविष्कार, नवाचार व उद्यमिता को प्रोत्साहित कर आर्यव्रत को पुनः “ज्ञान सभ्यता” एवं “सोने की चिड़िया” जैसी संज्ञाओं में स्थापित करना
ध्येय ५ – वैदिक परम्परानुसार संपूर्ण भारतवर्ष में शिक्षा व चिकित्सा क्षेत्र का विमुद्रीकरण
- प्रत्येक गाँव में मंदिर (कुल गाँव ६,४२,०००)
- प्रत्येक गाँव में गौशाला व गुरुकुल
- प्रत्येक गुरुकुल में ५-२५ वर्ष के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा व रोगियों की निःशुल्क चिकित्सा
उपरोक्त सभी संकल्पो पर एकसाथ कार्य प्रारम्भ करने हेतु निम्न प्रकल्पों को कार्यान्वित करना होगा:
- जनजागरण व संपर्क अभियान
- पुजारियों, महंथों, संतो व उनके परिवारजनों का पंजीकरण अभियान
- धनोपार्जन, संचयन, संकलन, तथा संग्रहण अभियान
- सरकारी समन्वय तथा सम्बन्ध प्रबंधन
- मीडिया संपर्क, आयोजन, प्रकाशन आदि का प्रबंधन